एक एहसास एक सूनापन
एक दिलासा एक अपनापन
दिल टटोला तो महसूस हुआ
ये थी उनकी फ़िक्र
ख्वाबों की गलियारों में
अपने आशियाने में
हर एक ख्वाहिश को
उम्मीदों से संजोने की है फ़िक्र
जीवन का रचा हुआ ये खेल
दो अजनबियों का ये कैसा मेल
रिश्तों के ऐसे हर डोर को
प्यार से बाँधने की है फ़िक्र
सपने टूटे भी तो हारूंगी नहीं
हौसला छुटे भी तो गिरूंगी नहीं
विपरीत परिश्थितियों को भी
जीवन से फिर जोड़ने की है फ़िक्र
--- प्रियाशी
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