बेफिक्र बेपरवाह
हँसता
गुदगुदाता
मेरा मसख़रा
ये दिल ही तो है
सपनों से उलझता
हुनर को ढूँढता
उन्मुक्त आवारा
ये दिल ही तो है
पथराई आँखों में
उमीदों के सागर में
डूबता तैरता
ये दिल ही तो है
खुद टूट कर भी
जिन्दगी से जुड़ता
एक सिर्फ बहादुर
ये दिल ही तो है
क्यूँ न ख्याल करूँ मैं
नादानों
कि भीड़ में
समझदार बेचारा
ये दिल ही तो है
-- प्रियाशी
बेफिक्र बेपरवाह
हँसता
गुदगुदाता
मेरा मसख़रा
ये दिल ही तो है
सपनों से उलझता
हुनर को ढूँढता
उन्मुक्त आवारा
ये दिल ही तो है
पथराई आँखों में
उमीदों के सागर में
डूबता तैरता
ये दिल ही तो है
खुद टूट कर भी
जिन्दगी से जुड़ता
एक सिर्फ बहादुर
ये दिल ही तो है
क्यूँ न ख्याल करूँ मैं
नादानों
कि भीड़ में
समझदार बेचारा
ये दिल ही तो है
-- प्रियाशी
"नादानों कि भीड़ में
ReplyDeleteसमझदार बेचारा
ये दिल ही तो है"
Beautiful!!
Thank you bhaiya... :)
DeleteBeautifull....nicely expressed!!!!
DeleteThank you Shashi...:)
ReplyDeleteBus dil hi to hai...
ReplyDeleteLovely poem.
Thank you Saru... :)
ReplyDeleteबहुत खूब ज़ी भावनाएँ शब्दों में ...
ReplyDeleteShukriya Sanjay ji......:)
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